Tuesday, October 2, 2012

विकास की अपार संभावनाओं से परिपूर्ण गरियाबंद जिला

गरियाबंद जिला का मानचित्र 


















प्रशिद्ध भूतेश्वर नाथ शिवलिंग विश्व का सबसे बड़ा स्वयम्भू शिवलिंग 

 विकास की अपार संभावनाओं से परिपूर्ण गरियाबंद को जिले का दर्जा मिलने पर अब वहां जनता की तरक्की और खुशहाली का नया दौर शुरू होने जा रहा है।
कुछ क्षेत्र जो अभी तक जिला मूख्यालय अविभाजित रायपुर से काफी दूर पर स्थित थे उन्हे भी अब विकास की एक नई किरण नजर आने लगी है। क्षेत्र मे कई ऐसे क्षेत्र है, जहां अभी तक विद्युत व्यवस्था भी नहीं पहुंच पाई है। सड़क व्यवस्था स्कूल के जैसे अनेक सुविधा से वंचित थे। उन्
हे अब विकास की झलक दिखाई देने लगी, पूर्व में गरियाबंद जिला जब रायपुर जिले में था तब कई ऐसे गांव जैसे देवभोग, रसेला, लिटीपारा,नवागढ़ ,अमली पदर , गोहरा पदर उरमाल मैनपुर    के वासी अपने आप को जिला मुख्यालय से काफी दूर महसूस करते थे, परंतु रायपुर जिला से अलग होने के गरियाबंद स्वयं जिले के रूप में अपने अस्तित्व में आ गया हैं, गरियाबंद रायपुर जिला से अलग होने के बाद विकास तो होगी ही वहीं इस क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संपदा छिपी हूई है, इसके कारण भी क्षेत्र का विकास अधिक होगा गरियाबंद जिला में राजस्व की प्राप्ति हो काफी मात्रा प्राप्त होगा ही, प्राकृतिक संपदा में हिरा अलेकजेन्डर, हरा सोना तेन्तुपत्ता, आमामोरा में औशधि, क्षेत्र में निर्मित   सिकासार बांध आदि है। जिन्हें देखकर क्षेत्र को अत्यधिक विकसित क्षेत्र के रूप में देखा जा सकता है। विकास कार्यो में क्षेत्र की तस्वीर बदल गई है। अब वन आंचल गरियाबंद क्षेत्र को सम्पूर्ण जिला बनाकर विकास की दृश्टि कोण से छत्तीसगढ़ राज्य में प्रथम जिला के रूप में उभर कर सामने आऐ यही गरियाबंद जिला में आने वाले पांचों ब्लाक के गरियाबंद, फिगेष्वर, छुरा, मैनपुर, देवभोग, की जनताओं का शासन प्रशासन से यही दरकार हैं। सड़क, शिक्षा, व स्वास्थय की मूलभूत दिक्कते राज्य निर्माण के बाद कुछ हद तक दूर हुई है। अब जिला बनने के बाद मूल भूत सुविधा के साथ प्रशासनीक कसावट आने से तेजी से अग्रसर होने की संभावनाएं आम नागरिक रखते हैं। जिलेका गौरव सिकासार डेम 1977 में निर्माण हुऐ सिकासार डेम गरियाबंद क्षेत्र के किसानों के लिए वरदान साबीत हुआ है। सिकासार डेम की उपयोगिता किसी से छुपी नही हैं। इस डेम का भराव छमता 1333 एमसीएफटी हैं। जिससे साढे 400 सौ ग्रामों के लगभग 29 सौ हैक्टेयर खेतों में सिकासार डेम के पानी से फसल लहलहाती है। इससे किसानों को चिन्ता नही रहती। ग्रीश्म कालीन रवी फसल के लिए किसानों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल जाता है। इस तरह एक नही दो-दो फसल लेते है। जो गौरव की बात है। शिक्षा के लिए पर्याप्त महाविद्यालय मुख्यमंत्री रमन सिंह के सौगात से गरियाबंद जिला में कला विज्ञान, कामर्स, आईटीआई, साईस, शासकीय पलेटेक्निक कालेज षूरू हो चुका हैं वही छुरा, देवभोग में भी शासकीय कालेज शिक्षा अध्यन कर रहे छात्र। बस कमी हैं तो विशय वार शिक्षकों की चाहे वह प्राथमीक शाला से लेकर उच्च शिक्षा तक की बात हो। जिला बनने के बाद लोगों में आशा की एक नई किरण कि अब उक्त शिक्षा के लिए शिक्षकों की गरियाबंद जिला में शिक्षा के दृश्टि कोण से पीछे नही रहेगा। वहीं किसी भी क्षेत्र का विकास वहां कि शिक्षा से होता हैं।
गरियाबंद जिले में पाए जाने वाला गौर 

गरियाबंद के ऊपर कलिछाव इसी जगह पर  गरियाबंद को डुबाने वाली योजना बनने वाली है बरूका है डेम 


छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु वनभैसा का  ओरिजनल ब्रिड सिर्फ गरियाबंद  जिले में पाया जाता है

प्रशिद्ध झरना देवधारा

जिले का प्रमुख आय  का जरिया  हरा सोना तेन्तुपत्ता

 वन संपदा से परिपूर्ण गरियाबंद के कुछ हिस्सों को छोड़ दे तो प्राय: वनआच्छादित जिला कहलाने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है। वही वन संपदा के साथ जैसे बेस किमती इमारती लकड़ीयों के साथ-साथ अनेक प्रकार के वनोशोधि क्षेत्रों में बहुताऐ रूप में पाऐ जाते है। यहां वनों उपज से संबंधित उद्योगों की सम्भावनाएं बलवती होने लगी है। लोगों में जिससे वन आंचल के आय के साथ-साथ बेरोजगारी भी दूर होगा। हिल स्टेषन जिला मुख्यालय से 75 किमी दूर स्थित पहाडी पर बसा आमामोरा किसी हिल स्टेषन से कम नही है। यहां कि प्राकितिक छटा देखते ही बनती है। समुद्र तल से 2000 फिट की उचाई पर बसा आमा मोरा को ग्राम पंचायत का दर्जा तो हासील है। लेकिन आज तक यहां के कमार भंजियां जन जाति के लोग जंगल से ही गुजर बसर करते हैं जो विकास से अब भी पीछे है। अदभूत झरने और प्राकितिकसौदर्य- दुर्गम पहाडी पर अदभूत झरने देखने को मिलते है। जोवपारा के पास कलराव गीत गाता झरना, फरीपगार, आमामोरा के पास डरावनी अवाज करता झरना, ओड के पास बनियाधस जो मोतियों की माला बनाता प्रतीत होता है। प्रकृति ने आमामोरा पहाडी को खूबसूरत बनाया है। ऊचे-ऊचे पहाड़ घने वन कलकल करती नालों का संगीत बरबस ही मन को षाति प्रदान करती है। वन परिक्षेत्र धवलपुर को अंतर्गत वनों से ढके होने के कारण आमामोरा, ओड़ में हिरण, बारहसिंगहा , जंगली सुवर, भलु, सोनकुत्ता, तेदुआ, नीलगाय, अंधिकाष पाए जाते है। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व नवगठित जिला में एक और उपलब्धी केन्द्रशासन द्वारा प्रायोजित उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व भी अस्तित्व में आ गया है। नवगठित उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में आने के बाद क्षेत्रों मे वन जिवों के संरक्षण के प्रयास तेज हो गये हैं। एक जनवरी 2012 से गठित टाइगर रिजर्व कुल आठ रेंज का उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व बन गई है। जिसमें बाघ के साथ तेंदुआ, निलगाय, हिरण, तथा वनभैसा, की गणणा की जाऐगी। बेस किमती हीरा खदान गरियाबंद जिले के मैनपुर थाना अंतर्गत प्रदेश की बहुचर्चित पयली खण्ड़, सोनमुडा, की हीराखदान है। जहां अवैध खुदाई तस्करों के द्वारा किया जा रहा हैं । जिला बनने के बाद इसकी सुरक्षा के लिए विशेष दयान दिये जोन से ही इस जिले के किमती हीरा को सुरक्षा निष्चित हो पाईगी। एसी संभावनाएं आम लोगों द्वारा नये जिले गरियाबंद के निर्माण होने से है।
 
माँ जतमाई प्रकृति का अनूठा नजारा 

गरियाबंद जिले में पाए जाने 

हिरा खदान का मेन गेट 

सिकासार बांध

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