प्राचीन गोड़ राजाओं की रियासत में होगी अब सत्ता की राजनीति
बिंद्रानवागढ़ रियासत के वीर सपूत कचनाध्रुवा को 1903 में बेहतर जमीदारी प्रथा लागू करने के लिए अंग्रेजों के शासनकाल में दिल्ली के लाल किले में एवार्ड से सम्मानित किया गया था। उस समय इस रियासत में 464 ग्राम हुआ करते थे।
पांडुका से लेकर देवभोग तक रियासत का क्षेत्र था। कचनाध्रुवा वीर सपूत का क्षेत्र जनवरी 2012 में नए जिले के रूप में छत्तीसगढ़ के मानचित्र में उभरकर सामने आ जाएगा। गोड़ राजाओं के रियासत में सियासत की राजनीति होगी। प्रस्तावित गरियाबंद नए जिले में राजिम सामान्य, बिंद्रानवागढ़ विधानसभा पड़ेगा। बिंद्रानवागढ़ के नाम से तो तहसील बना है।
उल्लेखनीय है कि कचनाध्रुवा वीर सपूत की महत्ता आज भी वर्षों से बरकरार है। आम लोग इन्हें पूजनीय मानते हैं। जगह-जगह कचनाध्रुवा देवालय के रूप में स्थापित किया गया है। मार्ग से आने-जाने वाले लोग ग्राम बारूका, छुरा मार्ग, नवागढ़, राजपड़ाव के पहले, ध्रुवागुड़ी मार्ग पर स्थित कचनाध्रुवा देवालय में श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। राजधानी मार्ग, छुरा मार्ग, देवभोग मार्ग पर पहाड़ी स्थान पर ही ये देवालय है। गरियाबंद से 12 किमी दूर राजधानी मार्ग के कचनाध्रुवा देवालय में बिजली तक पहुंच गई है। इस नए जिले में कचनाध्रुवा की महत्ता मौजूद रहेगी, बिंद्रानवागढ़ रियासत के कचनाध्रुवा राजा थे। इनके परिवार का फिंगेश्वर स्थित राजमहल शान कहलाएगा। कचनाध्रुवा वीर सपूत की कहानी यह है कि वर्षों तक सियासत की आज भी निशानी है। इनका बिलाई माता से प्रेम संबंध था, बिलाई माता के परिवार ने इसे स्वीकार नहीं करते हुए कचनाध्रुवा का वध कर दिया। इनका सिर और धड़ अलग कर दिया था, चूंकि पटवागढ़ उड़ीसा से कचनाध्रुवा राजा यहां आए थे। ये वहां वीर सैनिक कहलाते थे, इसलिए उड़ीसा के चांदाहड़ी सड़क मार्ग पर कचनाध्रुवा देवालय स्थापित है। वर्तमान गरियाबंद का तहसील दफ्तर, देवभोग, मैनपुर, नवागढ़, पोड़ में रजवाड़ा का मालखाना था, इसमें से कई मालखाना खंडहर में तब्दील हो गया है। बताया जाता है कि नवागढ़ के टीले में चिंड़ा लोगों के साथ सामान्य युद्ध तक हुआ था।
बिंद्रानवागढ़ रियासत के वीर सपूत कचनाध्रुवा को 1903 में बेहतर जमीदारी प्रथा लागू करने के लिए अंग्रेजों के शासनकाल में दिल्ली के लाल किले में एवार्ड से सम्मानित किया गया था। उस समय इस रियासत में 464 ग्राम हुआ करते थे।
पांडुका से लेकर देवभोग तक रियासत का क्षेत्र था। कचनाध्रुवा वीर सपूत का क्षेत्र जनवरी 2012 में नए जिले के रूप में छत्तीसगढ़ के मानचित्र में उभरकर सामने आ जाएगा। गोड़ राजाओं के रियासत में सियासत की राजनीति होगी। प्रस्तावित गरियाबंद नए जिले में राजिम सामान्य, बिंद्रानवागढ़ विधानसभा पड़ेगा। बिंद्रानवागढ़ के नाम से तो तहसील बना है।
उल्लेखनीय है कि कचनाध्रुवा वीर सपूत की महत्ता आज भी वर्षों से बरकरार है। आम लोग इन्हें पूजनीय मानते हैं। जगह-जगह कचनाध्रुवा देवालय के रूप में स्थापित किया गया है। मार्ग से आने-जाने वाले लोग ग्राम बारूका, छुरा मार्ग, नवागढ़, राजपड़ाव के पहले, ध्रुवागुड़ी मार्ग पर स्थित कचनाध्रुवा देवालय में श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। राजधानी मार्ग, छुरा मार्ग, देवभोग मार्ग पर पहाड़ी स्थान पर ही ये देवालय है। गरियाबंद से 12 किमी दूर राजधानी मार्ग के कचनाध्रुवा देवालय में बिजली तक पहुंच गई है। इस नए जिले में कचनाध्रुवा की महत्ता मौजूद रहेगी, बिंद्रानवागढ़ रियासत के कचनाध्रुवा राजा थे। इनके परिवार का फिंगेश्वर स्थित राजमहल शान कहलाएगा। कचनाध्रुवा वीर सपूत की कहानी यह है कि वर्षों तक सियासत की आज भी निशानी है। इनका बिलाई माता से प्रेम संबंध था, बिलाई माता के परिवार ने इसे स्वीकार नहीं करते हुए कचनाध्रुवा का वध कर दिया। इनका सिर और धड़ अलग कर दिया था, चूंकि पटवागढ़ उड़ीसा से कचनाध्रुवा राजा यहां आए थे। ये वहां वीर सैनिक कहलाते थे, इसलिए उड़ीसा के चांदाहड़ी सड़क मार्ग पर कचनाध्रुवा देवालय स्थापित है। वर्तमान गरियाबंद का तहसील दफ्तर, देवभोग, मैनपुर, नवागढ़, पोड़ में रजवाड़ा का मालखाना था, इसमें से कई मालखाना खंडहर में तब्दील हो गया है। बताया जाता है कि नवागढ़ के टीले में चिंड़ा लोगों के साथ सामान्य युद्ध तक हुआ था।
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