छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि जन-सुविधाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने नये जिलों का निर्माण किया है। उन्होंने कहा कि गरियाबंद जिले के निर्माण से आदिवासी बहुल अंचल की तस्वीर बदलेगी और यहां विकास का नया दौर शुरू होगा। जनता के जीवन में खुशहाली आएगी। सबसे बड़ी बात यह है कि दिन-प्रतिदिन के कामों के लिए लोगों को ज्यादा दूरी तय नहीं करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने आज दोपहर प्रदेश के नवगठित गरियाबद जिले का शुभारंभ करते हुए एक विशाल जनसभा में इस आशय के विचार व्यक्त किए । उन्होंने इस अवसर पर गरियाबंद के कलेक्टर और जिला दण्डाधिकारी के कार्यालय (कलेक्टोरेट) का भी शुभारंभ किया। आंचलिक लोक नर्तक दलों और स्कूली बच्चों के रंग-बिरंगे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ हजारों की संख्या में किसानों, मजदूरों और आम नागरिकों की उत्साहजनक चहल-पहल के बीच जिला उत्सव के रूप में नये जिले की ऐतिहासिक शुरूआत हुई। डॉ. रमन सिंह ने इस अवसर को यादगार बनाने के लिए नये गरियाबंद जिला प्रशासन द्वारा प्रकाशित स्मारिका का भी विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने भारी संख्या में उपस्थित जनसमूह का अभिवादन किया और सभी लोगों को बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने जिला उत्सव में रंगबिरंगे गुब्बारे उड़ाकर लोगों के उत्साह को दोगुना कर दिया।
मुख्यमंत्री ने विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि गरियाबंद को जिला बनाने की मांग पिछले कई वर्षों से की जा रही थी। यहां के जनप्रतिनिधियों ने जनता की इस मांग के बारे में पर राज्य सरकार को अवगत कराया । जनभावनाओं का सम्मान करते हुए प्रदेष सरकार ने गरियाबंद को जिला बनाने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह इलाका प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है। यहा वनोपज और खनिज संपदा की कोई कमी नहीं है। प्रदेष सरकार ने हाल के वर्षों में यहां विकास के अनेक कार्य किए हैं। जिला बनने के बाद अब इसमें और भी ज्यादा तेजी आएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि गरियाबंद जिले का देवभोग अपने पूर्ववर्ती रायपुर जिला मुख्यालय से लगभग सवा दो सौ किलमीटर की दूरी पर था अब यह दूरी घटकर लगभग आधी रह गई है। निश्चित रूप से यह जनता की सुविधा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। डॉ. सिंह ने कहा कि उनकी सरकार जनता की ताकत पर विश्वास करती है। जनता की भावनाओं के अनुरूप और जनता की ताकत के बल पर ही हम अपनी नीतियां बनाते और निर्णय लेते हैं। नये जिलों का निर्माण का निर्णय भी इसी आधार पर लिया गया है। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि उनकी सरकार नारों पर नहीं बल्कि काम पर विश्वास करती है। छत्तीसगढ़ की सरकार जनता के हित में काम करने वाली सरकार है। यही कारण है कि जनता ने हम पर विश्वास किया है और हम जनता के इस विश्वास को हमेशा कायम रखेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि नए गरियाबंद जिले के विकास के लिए राज्य सरकार सभी संसाधन उपलब्ध कराएगी। इससे जल्द से जल्द अंचल का पिछड़ापन दूर होगा
और यह इलाका विकास की मुख्य धारा से जुड़ेगा। यहां कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के कार्यालय आज से शुरू हो गए हैं और बहुत जल्द विभिन्न विभागों के लगभग 32 जिला स्तरीय कार्यालय भी यहां खुलेंगे। निकट भविष्य में यहां कृषि विज्ञान केन्द्र और केन्द्रीय विद्यालय की भी स्थापना होगी। इससे गरियाबंद क्षेत्र की जनता को सरकारी कार्यों के लिए या जिला स्तरीय शासकीय दफ्तरों से सेवाएं प्राप्त करने के लिए अब रायपुर नहीं जाना पडेग़ा। जिला स्तर के अनेक सरकारी कार्यालय यहां खुलेंगे। बहुत जल्द यहां जिला पंचायत का गठन होगा। इसके साथ ही यहां सरकारी कामकाज बढ़ेगा और व्यवसायिक गतिविधिया भी बढ़ेंगी। इसके फलस्वरूप स्थानीय बेरोजगारों के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे। डॉ. रमन सिंह ने नये जिले की सामाजिक-सांस्कृतिक, भौगोलिक और प्राकृतिक विशेषताओं पर भी प्रकाश डाला। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि गरियाबंद इलाके में बिजली के कम वोल्टेज की समस्या को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने यहां दस करोड़ रूपए की लागत वाले 132 के.व्ही. क्षमता के विद्युत उपकेन्द्र की स्थापना के प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। इस उपकेन्द्र का निर्माण वर्ष 2013 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है।
लोकसभा सांसद श्री रमेश बैस की अध्यक्षता में आयोजित गरियाबंद जिले के शुभारंभ समारोह में कृषि और श्रम मंत्री श्री चंद्रषेखर साहू, स्कूल शिक्षा और लोक निर्माण मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल और चंदूलाल साहू, विधायक श्री डमरूधर पुजारी, राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष श्री लीलाराम भोजवानी, छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मण्डल के अध्यक्ष श्री अरूण चौबे औरजला पंचायत रायपुर की अध्यक्ष श्रीमती लक्ष्मी वर्मा सहित अनेक जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। नये गरियाबंद जिले के कलेक्टर श्री दिलीप वासनीकर ने मुख्यमंत्री सहित सभी विशिष्टजनों का स्वागत करते हुए नये जिले का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर रायपुर संभाग के कमिश्नर श्री के.डी.पी. राव और पूर्ववर्ती रायपुर जिले के कलेक्टर डॉ. रोहित यादव भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में नये जिले के मानचित्र का अनावरण किया। उन्होंने विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत हितग्राहियों को राशि और सामग्री का भी वितरण किया।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए रायपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद श्री रमेश बैस ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में प्रदेश में मात्र चार वर्ष के भीतर ग्यारह नये जिलों का निर्माण हुआ। यह नये छत्तीसगढ़ राज्य की एक बड़ी उपलब्धि है। सांसद श्री बैस ने कहा कि अब तो छत्तीसगढ़ सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की चर्चा लोकसभा में भी होती है, उस समय
छत्तीसगढ़ के हम सांसदों का सीना गर्व से फूल जाता है। निश्चित रूप से इसका श्रेय डॉ. रमन सिंह की सरकार को दिया जाना चाहिए। श्री बैस ने कहा कि अटल जी ने देश में छत्तीसगढ़ सहित तीन नये राज्यों का निर्माण किया, जिनमें आज छत्तीसगढ़ विकास के हर क्षेत्र में तेजी से आगे बड़ रहा है। छत्तीसगढ़ के लोग इस बात के गवाह हैं कि अटल जी ने राज्य बनाकर अपना वायदा पूरा किया है। छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण शांतिपूर्ण ढंग से हुआ है। ठीक उसी तरह डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश की जनता को नये जिलों की सौगात दी है। ये नये जिले भी शांतिपूर्ण ढंग से निर्मित हुए हैं, जो एक नया कीर्तिमान है। स्कूल शिक्षा और लोक निर्माण मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि आज गरियाबंद में एक नया इतिहास लिखा जा रहा है। देश में छत्तीसगढ़ के अलावा अब तक कोई भी ऐसा राज्य नहीं है, जिसने एक दिन में एक साथ नौ नये जिलों का निर्माण किया हो। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की सरकार ने ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया है। श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि गरियाबंद नदियों, पहाड़ों और जंगलों से घिरा छत्तीसगढ़ का सबसे सुन्दर जिला होगा। उन्होंने भी छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में श्री अटल बिहारी वाजपेयी और जिलों के निर्माण में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के शानदार योगदान का विशेष रूप से उल्लेख किया । कृषि और श्रम मंत्री श्री चन्द्रशेखर साहू ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2000 में देश के मानचित्र पर नये छत्तीसगढ़ राज्य को रेखांकित किया, और अब डॉ. रमन सिंह की सरकार ने छत्तीसगढ़ के मानचित्र को मात्र चार वर्ष में ग्यारह नये जिले दिए। श्री चन्द्रशेखर साहू ने यह भी कहा कि नया छत्तीसगढ़ राज्य भारत का सिरमौर बनेगा, वहीं नया गरियाबंद जिला छत्तीसगढ़ का सिरमौर होगा। लोकसभा सांसद श्री चन्दूलाल साहू ने भी समारोह को सम्बोधित किया।
उल्लेखनीय है कि यह नया गरियाबंद जिला रायपुर जिले को पुनर्गठित कर बनाया गया है, जो आम जनता के लिए सामाजिक-आर्थिक विकास की नई उम्मीदों के साथ-साथ पर्यट
न की अपार संभावनाओं से भी परिपूर्ण है। पैरी नदी के आंचल में हरे-भरे सघन वनों और पहाड़ियों के मनोरम प्राकृतिक दृश्यों से सुसज्जित नये गरियाबंद जिले में धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक महत्व के अनेक स्थानों और नैसर्गिक झरनों आदि को देखते हुए यहां पर्यटन की भी असीम संभावनाएं हैं। इस नये जिले का निर्माण 690 गांवों, 306 ग्राम पंचायतों और 158 पटवारी हल्कों को मिलाकर किया गया है। जमीन के ऊपर बहुमूल्य वन सम्पदा के साथ-साथ यह नया जिला अपनी धरती के गर्भ में अलेक्जेण्डर और हीरे जैसी मूल्यवान खनिज सम्पदा को भी संरक्षित किए हुए है। गिरि यानी पर्वतों से घिरे होने (बंद होने) के कारण संभवत: इसका नामकरण गरियाबंद हुआ। पहले यह रायपुर राजस्व जिले में शामिल था। नये गरियाबंद जिले की कुल जनसंख्या पांच लाख 75 हजार 480 है। लगभग चार हजार 220 वर्ग किलोमीटर के भौगोलिक क्षेत्रफल वाले इस जिले में दो हजार 860 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र और एक हजार 360 वर्ग किलोमीटर राजस्व क्षेत्र है। नये गरियाबंद जिले का कुल वन क्षेत्र लगभग 67 प्रतिशत है। इस नये जिले में वन्य प्राणियों सहित जैव विविधता के लिए प्रसिध्द उदन्ती अभ्यारण्य भी है। इस अभ्यारण्य के नाम से वन विभाग का उदन्ती वन मण्डल भी यहां कार्यरत है। यहां खेती का रकबा एक लाख 35 हजार 823 हेक्टेयर है। धान यहां की मुख्य फसल है। वैसे जिले के देवभोग और मैनपुर क्षेत्र में उड़द, मूंग, तिल, अरहर और मक्के के भी खेती होती है। इस अंचल के लोगों की यह मान्यता है कि पुरी के भगवान जगन्नाथ को भोग लगाने के लिए चावल इस जिले के देवभोग क्षेत्र से भेजा जाता था। देवभोग के चावल की लोकप्रियता आज भी बरकरार है। गरियाबंद जिले का गठन पांच तहसीलों (विकासखण्डों) फिंगेश्वर (राजिम), गरियाबंद, छुरा, मैनपुर और देवभोग को मिलाकर किया गया है। जिले में चार नगर पंचायत गरियाबंद, छुरा, फिंगेश्वर और राजिम शामिल हैं। इस नये जिले की उत्तर-पूर्वी सीमा छत्तीसगढ़ के महासमुन्द जिले से और उत्तर-पश्चिमी सीमा रायपुर जिला लगी हुई है। इसके दक्षिण में राज्य का धमतरी जिला लगा हुआ है, जबकि पूर्व और दक्षिण में इसकी सरहद ओड़िशा राज्य के नुआपाड़ा और नवरंगपुर जिले से लगती है। नया गरियाबंद जिला मुख्य रूप से आदिवासी बहुल जिला है। नये गरियाबंद जिले के तीन विकासखण्ड- छुरा, गरियाबंद और मैनपुर आदिवासी बहुल विकासखण्ड हैं, जबकि फिंगेश्वर और देवभोग सामान्य श्रेणी के विकासखण्ड हैं। जिले की जीवन रेखा पैरी नदी का उद्गम विकासखण्ड मैनपाठ के ग्राम भाटीगढ़ में है।
विशेष पिछड़ी कमार और भुंजिया जनजाति के लोग भी गरियाबंद जिले में निवास करते हैं। राज्य शासन द्वारा इनके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए कमार विकास अभिकरण और भुंजिया विकास अभिकरण का गठन करने के बाद कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। गरियाबंद जिले में कमार
जनजाति की जनसंख्या 13 हजार 459 और भुंजिया जनजाति की जनसंख्या मात्र तीन हजार 645 है। छत्तीसगढ़ के महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों के पवित्र संगम पर स्थित देश का प्रसिध्द तीर्थ राजिम भी अब रायपुर जिले से नये गरियाबंद जिले में शामिल हो गया है, जो भगवान राजीव लोचन और कुलेश्वर महादेव के प्रसिध्द मंदिरों के लिए भी अपनी खास पहचान रखता है। माघ पूर्णिमा का परंपरागत राजिम मेला राज्य शासन के सहयोग से अब 'राजिम कुंभ' के नाम से भी देश-विदेश में प्रसिध्द हो गया है। इसके अलावा नये गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर विकासखण्ड (तहसील) में ग्राम कोपरा स्थित कोपेश्वर महादेव, फिंगेश्वर स्थित कर्णेश्वर महादेव और पंचकोशी महादेव सहित विकासखण्ड छुरा में ग्राम कुटेना में सिरकट्टी आश्रम, जतमई माता का मंदिर ओर घटारानी का पहाड़ी मंदिर तथा जल प्रपात भी इस जिले की सांस्कृतिक और नैसर्गिक पहचान बनाते हैं। नये गरियाबंद जिले में पैरी नदी पर निर्मित सिकासार जलाशय सहित उदन्ती अभ्यारण्य, देवधारा (मैनपुर) और घटारानी के जल प्रपात यहां सैलानियों को यहां आकर्षित करते रहे हैं। यह वनों से आच्छादित जिला है। वर्तमान में यहां दो वन मण्डल क्रमश: सामान्य वन मण्डल (उत्तर रायपुर) और उदन्ती वन मण्डल कार्यरत हैं। उदन्ती वन मण्डल को उदन्ती अभ्यारण्य के नाम से भी जाना जाता है। इसका कुल क्षेत्रफल एक हजार 842 वर्ग किलोमीटर है। यह वन क्षेत्र छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु 'वन भैंसा' के लिए भी प्रसिध्द है। प्रदेश के इस राजकीय पशु संरक्षण और संवर्धन के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उदन्ती अभ्यारण्य में एक आकर्षक जल प्रपात है, जो गोड़ेना जल प्रपात के नाम से जाना जाता है। वहां पर भी पर्यटन विकास की अपार संभावनाएं हैं।
सामाजिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक महत्व की दृष्टि से देखा जाए तो नये गरियाबंद जिले को अनेक प्रसिध्द हस्तियों की जन्म भूमि और कर्म भूमि होने का गौरव प्राप्त है। इस जिले की तीर्थ नगरी राजिम नगरी में महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और साहित्यकार पंडित सुन्दरलाल शर्मा ने राष्ट्रीय जागरण का ऐतिहासिक कार्य किया। सन्त कवि पवन दीवान ने अपनी ओजस्वी कविताओं के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ की पहचान बनायी। वह आज भी साहित्य और आध्यात्म के माध्यम से समाज सेवा में लगे हुए हैं। राजिम प्रसिध्द कहानीकार और उपन्यासकार स्वर्गीय श्री पुरूषोत्तम अनासक्त की भी रचना भूमि है।