Friday, June 24, 2011

चराई पर प्रतिबंध के बाद भी राजस्थान से भेड़ के जत्थे गरियाबंद पहुंचते हैं।

वन क्षेत्रों में चराई पर प्रतिबंध के बावजूद राजस्थान से आकर पाण्डुका रेंज में भेड़ की चराई करने वालों को पकडऩे वन विभाग ने अभियान छेड़ दिया है। बुधवार को वन विभाग ने तौरेंगा व खरखरा के जंगल में भेड़, ऊंट, घोड़ा, बकरी सहित 917 मवेशी को पकड़ा। इनके मालिकों के खिलाफ गुरुवार को डीएफओ पूर्व वन मंडल अनिल सोनी के निर्देश पर वन परिक्षेत्र अधिकारी हरीश पांडेय ने एक लाख रुपए का जुर्माना किया है। विभाग ने चेतावनी दी है कि अगर फिर से वन क्षेत्र में नजर आए तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रकृति व वनोत्पादन को नुकसान पहुंचाने के आरोप में भारतीय वन अधिनियम की धार 26 के अंतर्गत राजस्थान के मवेशी मालिक राणा वहद प्रताप, विश्राम सिंह, राजसिंह ग्राम मटियाना के विरुद्ध वन विभाग ने कार्रवाई की है। उनके पास से 550 भेड़, 349 बकरी, 6 घोड़ा तथा 12 ऊंट की जब्ती बनाई गई है। उनके खिलाफ 8 प्रकरण बनाए गए हैं। यहां चराई पर प्रतिबंध के बाद भी राजस्थान से भेड़ के जत्थे यहां पहुंच जाते हैं। चराई से जंगल नष्ट होते हैं, वहीं इनसे यहां के पशुओं को खुरहा, चपका की बीमारी फैलती है।

बताया जाता है कि भेड़ जहां चराई करते गुजरते है वहां छोटे पौधे विकसित नहीं हो पाते हैं। जिससे चारे की समस्या खड़ी हो जाती है। वन अमले ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई जुर्माना वसूलने की है। रेंजर श्री पांडेय ने बताया कि भेड़ मालिकों ने जुर्माना राशि जमाकर दी है। इन्हें भेड़-बकरी सहित वन इलाके से बाहर खदेड़ दिया गया है।

पहाड़ी में डेरा : बीते 20 वर्षों से राजस्थान से भेड़ चरवाहे यहां आ रहे हैं। ये वन विभाग से बचकर पहाड़ी पर भेड़ का डेरा लगाते हैं। ताकि हरे-भरे चारे की दिक्कत न हो। अनेक बार इनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। इसके बाद भी भेड़ चराई के लिए लाने से बाज नहीं आते है। विशेष बात यह है कि इसके मालिक राजस्थान में बैठे रहते हैं और चरवाहे के साथ भेड़ चराई करने भेज देते हैं।

जंगल में घुसने के पहले रोका :बुधवार को वन विभाग को जानकारी मिली कि भेड़ों का जत्था वन क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है। वन अफसरों ने स्टाफ समेत उन्हें घेरा और जंगल में जाने से रोक दिया। यह जानकार ताज्जुब होगा की एक बार इनका प्रवेश हो गया तो ठिकाने बनाकर वर्षों तक डेरा रहता है। ये राजस्थान लौटकर वापस नहीं जाते। बल्कि भेड़ के बाल वर्ष में दो बार काटकर राजस्थान भेजते हैं। इसके बाद बाल ही लाखों रुपए में बिकते हैं। ये भेड़ चरवाहे गरियाबंद नगर के व्यापारिक क्षेत्र से भोजन सामग्री खरीदते हैं।

भेड़ चरवाहे सक्रिय : पूर्व वनमंडल के अलावा उदंती वनमंडल के घने जंगलों में इनके दर्जनों ठिकाने हैं। विभाग के सामने कार्रवाई की चुनौती है। दोनों वनमंडल एरिया में प्रवेश करने के अनेक रास्ते हैं गोना, गरीबा में भेड़ चरवाहे का डेरा होने की खबर है।